New Criminal Laws: देश भर में कल से तीन नए कानून लागू होने जा रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए कानूनों में बदलाव किए हैं। पिछले साल अगस्त में तीन नए आपराधिक कानूनों को पेश किया था। जो अब कल यानी 3 जूलाई से लागू होने वाले हैं।
कौन से हैं तीन कानून?
ये तीन नए आपराधिक कानून कल यानी 1 जुलाई, 2024 से लागू हो रहे हैं, ये देश में नए कानून लागू होंगे। तीनों नए कानून वर्तमान में लागू ब्रि0टिश काल के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले हैं। इन कानूनों के नाम हैं – भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए)।
मॉब लिंचिंग के दोषियों को सजा का प्रवधान
इस नए कानूनों में नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले दोषियों को फांसी की सजा देने का प्रवधान किया गया है। अगर नाबालिग के साथ गैंगरेप होता है तो उसे नए अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसे राजद्रोह अब अपराध नहीं माना जाएगा। नए कानून में मॉब लिंचिंग के दोषियों को भी सजा दिलाने का प्रावधान किया गया है और कहा गया है कि जब 5 या उससे ज्यादा लोग जाति या समुदाय के आधार पर किसी की हत्या करते हैं तो उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिलेगी।
पुराने आईपीसी की जगह लेगा BNS 163
दरअसल, बीएनएस 163 साल पुराने आईपीसी की जगह लेने वाला है। इसमें सेक्शन 4 के तरह सजा के तौर पर दोषी को सामाजिक सेवा करनी पड़ेगी। अगर किसी ने शादी का धोखा देकर यौन संबंध बनाए हैं तो उसे 10 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। नौकरी या अपनी पहचान छिपाकर शादी के लिए धोखा देने पर भी सजा का प्रावधान किया गया है। अब संगठित अपराध जैसे अपहरण, डकैती, गाड़ी की चोरी, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग, आर्थिक अपराध, साइबर-क्राइम के लिए कड़ी सजा दी जाएगी।
इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कामों पर भी सजा का प्रावधान किया गया है। बीएनएस आतंकवादी जैसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित करता है जो लोगों के बीच आतंक पैदा करने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरे में डालती है, उसके के लिए नए कानून में मॉब लिचिंग पर सजा का प्रावधान किया गया है। मॉब लिचिंग में शामिल व्यक्ति को दोषी पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा और जुर्माने की सजा मिल सकती है।
फोरेंसिक एक्सपर्ट्स को अपराधिक जगह से सबूतों
और बीएनएसएस में कम से कम सात साल की कैद की सजा वालों पर फोरेंसिक जांच अनिवार्य हो जाएगी। इसके साथ ही फोरेंसिक एक्सपर्ट्स को अपराध वाली जगह से सबूतों को इकट्ठा और रिकॉर्ड करना होगा। अगर किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा का अभाव होता है तो उसे दूसरे राज्य में इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकता है। इसमें न्यायालयों की व्यवस्था का भी जिक्र किया गया है। बताया गया है कि किस तरह सबसे पहले केस मजिस्ट्रेज कोर्ट में जाएगा और फिर सेशन कोर्ट, हाईकोर्ट होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचेगा।
इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को भी शामिल करना
इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर भी कानून बनाया गया है। ये बीएसए 1872 के साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाला है। जिसमें नया कानून इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर नियमों को विस्तार से बताया गया है और इसमें द्वितीय सबूत की भी बात हुई है। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जानकारी एफिडेविट तक सीमित होती थी, लेकिन अब उसके बारे में विस्तृत जानकारी कोर्ट को देनी होगी।
यह भी पढ़ें:- Virat Kohli Retirement : भारत के चैंपियन बनते ही T20 क्रिकेट को अलविदा कह गए विराट कोहली, बोले-ये मेरा लास्ट T20
11 total views, 3 views today