इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बुधवार को बाली शिखर सम्मेलन के समापन के साथ ही अगले एक साल के लिए भारत को जी20 की अध्यक्षता सौंपी। जबकि भारत 1 दिसंबर से आधिकारिक तौर पर G-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
G-20 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”भारत G-20 का जिम्मा ऐसे समय ले रहा है जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनावों, आर्थिक मंदी और ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों और महामारी के दुष्प्रभावों से एक साथ जूझ रहा है। ऐसे समय विश्व G-20 के तरफ आशा की नज़र से देख रहा है।”
आखिर क्या है जी20 समूह?
जी 20 समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है। भारत के अलावा अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हैं।
G20 की अध्यक्षता से भारत को क्या हो सकता है फायदा?
अब जब इसकी अध्यक्षता भारत के पास आ रही है, ऐसे में भारत के पास जी20 को फिर से उसके आर्थिक लक्ष्यों की तरफ ले जाने का मौका होगा। 18वीं जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता करने का ये मौका बेहद महत्वपूर्ण है।
सबसे पहले तो जी 20 शिखर सम्मेलन की ये परंपरा रही है कि पिछले साल के अध्यक्ष औऱ आने वाले साल के अध्यक्ष देश जो हैं वो एक दूसरे के साथ निरंतर तालमेल बनाए रखते हैं।
“पिछले एक साल से भारत लगातार इंडोनेशिया से जुड़ा हुआ है कि जी-20 को किस तरफ़ ले जाना है और अलग-अलग मुद्दों को लेकर कैसे इस पर सहमति बनानी है। तो ये अच्छा अवसर होगा भारत के लिए दूसरे मुल्क़ के नेताओं से तालमेल बनाने का, उनको अगले साल भारत आने का निमंत्रण देने का और अपनी बात आगे रखने का।
बाली में G-20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में PM नरेंद्र मोदी ने कहा, ”G-20 की अध्यक्षता हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। हम अपने विभिन्न शहरों और राज्यों में बैठकें आयोजित करेंगे। हमारे अतिथियों को भारत की अद्भुदता, विविधता, समावेशी परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा।”
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