पाकिस्तानी रूपये के गिरने का क्या है कारण? IMF की मदद से कितने सुधरेंगे हालात

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पाकिस्तान में आर्थिक संकट दिन पर दिन गहराता जा रहा है. बढ़ते आर्थिक संकट की वजह से अब पाकिस्तानी रुपये में भी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। आज एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 262 से ऊपर बना हुआ है। जबकि शुक्रवार 27 जनवरी तक यह गिर कर 265 तक पहुंच गया था। पाकिस्तानी रुपये में ये गिरावट सरकार द्वारा विनिमय दर पर अपनी पकड़ ढीली करने के बाद आई है। गिरावट की दर धीरे धीरे कम हो रही है लेकिन आने वाले दिनों में इसके कई परिणाम सामने आ सकते हैं।

क्या है पाकिस्तानी रूपये के गिरने का कारण?

शुक्रवार को पाकिस्तानी रुपए के मूल्य में अब तक के इतिहास में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। ऐसा तब हुआ जब विदेशी मुद्रा कंपनियों ने विनिमय दर पर से सीमा हटा दी।

ऐसा करने का उद्देश्य था रुपए के मूल्य को बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य के पास ले जाना. पाकिस्तान इस समय एक गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है. संकट से उबरने के लिए उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मदद चाहिए और कोष मुद्रा के मूल्य पर से कृत्रिम सीमाओं को हटाने का समर्थन करता है।

सीमा के हटाए जाने से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलती जुलती स्थिति में आ गए हैं. विनिमय कंपनियों को उम्मीद है कि इससे डॉलर का काला बाजार धीरे धीरे बंद हो जाएगा. लेकिन इससे आम लोगों की समस्याएं और बढ़ सकती हैं. लोग पहले से आयातित ईंधन और खाने पीने की चीजों के बढ़े हुए दामों के बोझ से परेशान हैं।

क्यों चाहिए आईएमएफ से मदद?

पाकिस्तान के पास सिर्फ 3.68 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बची है जिससे मुश्किल से तीन और हफ्तों तक आयात का भुगतान करना संभव हो पाएगा. इस समय पाकिस्तान को आईएमएफ की सख्त जरूरत है।

इस्लामाबाद चाहता है कि कोष देश को दिवालिया होने से बचा ले और अपने बचाव कार्यक्रम की एक अरब डॉलर की अगली किस्त जल्दी जारी करे. 2019 में कोष की तरफ से छह अरब डॉलर के राहत पैकेज पर सहमति हुई थी।

पिछले साल की विनाशकारी बाढ़ के बाद इस पैकेज को बढ़ा कर सात अरब डॉलर का कर दिया गया था, लेकिन नवम्बर में सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने की असफलता की वजह से इस मदद की किस्तों को जारी करना रोक दिया था।

कोष चाहता है कि सरकार और भी मजबूत राजस्व संबंधी कदम उठाए. एक बार आईएमएफ पैकेज की किस्तें जारी करना फिर से शुरू कर देगा तो उम्मीद है कि दूसरी संस्थाएं भी पाकिस्तान को मदद देना शुरू कर देंगी।

कोष ने घोषणा की है कि उसका प्रतिनिधि मंडल पैकेज पर चर्चा करने के लिए 31 जनवरी से नौ फरवरी तक पाकिस्तान की यात्रा करेगा. इस घोषण से सरकार में मदद राशि के मिलने की उम्मीद जग गई है।

प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में कहा, “इंशाअल्लाह आईएमएफ के साथ एक संधि हो जाएगी…हम जल्द ही मुश्किल हालात से निकल जाएंगे।”

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