नेताजी के नाम से मशहूर समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन ( mulayam singh yadav )हो गया। और आज सैफई में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा। उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Politics) में उन्होंने वह ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है। उन्होंने तीन बार राज्य की कमान संभाली। देश के रक्षा मंत्री भी बने। हालांकि, प्रधानमंत्री बनने से चूक गए। ऐसा दो बार हुआ।
![Mulayam Singh Yadav](https://ichef.bbci.co.uk/news/976/cpsprodpb/AB2F/production/_126932834_6-1.jpg)
मुलायम सिंह यादव (mulayam singh yadav) के सियासी चालों से देश की राजनीति की दशा और दिशा कई बार निर्धारित हुई है। चरखा दांव से उन्होंने यूपी का सियासी रुख मोड़ दिया था। अजीत सिंह मुख्यमंत्री बनने ही वाले थे कि अचानक मुलायम ने चरखा दांव खेलकर खुद मुख्यमंत्री का ताज पहन लिया।
इसके साथ ही 1991 में अयोध्या के विवादित ढांचे के मुद्दे के बाद कांशीराम से हाथ मिलाकर भाजपा को पटखनी मार दी। लेकिन, लालू प्रसाद ने उन्हें राजनीति में सबसे बड़ी पटखनी दी थी, जब पीएम बनने से उन्हें रोक दिया था। इस बारे में उन्होंने साफ कहा था, कि वह प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, चंद्र बाबू नायडू और वीपी सिंह के कारण प्रधानमंत्री नहीं बन पाए।
यह 1996 का वर्ष का था। जिसे मुलायम सिंह यादव कभी न भूल पाये। यह वही साल था जब मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बनने वाले थे। कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव के नाम पर प्रधानमंत्री पद के लिए मुहर लग गई थी। राजनीतिक के जानकारों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव पीएम के पद की शपथ ग्रहण की तारीख और समय सब कुछ तय हो चुके थे। लेकिन, लालू प्रसाद उन्हें पीएम बनने पर ब्रेक लगा दिया। इस खींचतान में एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री का पद मिल गया।
दरअसल लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी की शादी अखिलेश यादव से करना चाह रहे थे। इसके लिए अखिलेश यादव तैयार नहीं थे। मुलायम सिंह यादव ने जब अखिलेश से इसको लेकर बात किया तो उन्होंने डिंपल से शादी की बात बता दी।
मुलायम सिंह यादव अखिलेश को मनाने का बहुत प्रयास किये, लेकिन, जब अखिलेश नहीं माने तब लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने मुलायम सिंह यादव को अपना समर्थन नहीं दिया। जिस पर मुलायम की जगह एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बना दिया गया।
1999 में फिर चुनाव हुए। मुलायम सिंह ने संभल और कन्नौज सीट से जीत हासिल की। दोबारा मुलायम सिंह यादव का नाम सामने आया। लेकिन, दूसरे यादव नेताओं ने फिर अपने हाथ पीछे खींच लिए। इस तरह दो बार वह प्रधानमंत्री बनने से बस थोड़ा सा दूर रह गए। बाद में उन्होंने कन्नौज सीट अपने बेटे अखिलेश यादव के लिए छोड़ दी थी। उपचुनाव में अखिलेश पहली बार सांसद बने।
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