West Bengal: ममता सरकार के लिए कौन बना गले की फांस ?

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West Bengal: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार इन दिनों विपक्षी दलों के घेरे में हैं। दरअसल, मामला संदेशखाली से जुड़ा हुआ है। संदेशखाली में 9 फरवरी से काफी बवाल हो रहा है। बता दे कि ये इलाका टीएमसी के नेता शाहजहां शेख के दबदबे वाला है। शाहजहां शेख राशन घोटाले में 5 जनवरी को ईडी की छापेमारी के दौरान टीम पर हुए हमले के बाद से फरार है। उसके फरार होने के बाद 8 फरवरी से स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया।

महिलाओं ने लगाया बड़ा आरोप

महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख और उसके लोग महिलाओं का यौन शोषण भी करते थे। 9 फरवरी को प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां समर्थक हाजरा के तीन पोल्ट्री फार्मों को जला दिया। महिलाओं का दावा था कि वे स्थानीय ग्रामीणों से जबरन छीनी गई जमीन पर बने थे। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने भी यहां का दौरा करने के बाद कहा था कि, संदेशखाली में स्थिति काफी गंभीर है।

वही इस घटना के बाद से संदेशखाली सियासी जंग का मैदान बना हुआ है। बीजेपी से लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियाँ इस मामले पर अपनी प्रतिक्रियां दे रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच और उसकी सुनवाई को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने और केंद्रीय जांच ब्यूरो या विशेष जांच दल से जांच कराने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

वहीं नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की शुरुआती जांच बैठ गई है। सूत्रों की ओर से बताया जा रहा है कि जल्द इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा सकती हैं। फिलहाल शाहजहां शेख अभी फरार है व जांच एजेंसी उसकी तलाश में जुटी हुई  है।

कौन है शाहजहां शेख ?

बता दे कि 42 साल का शाहजहां शेख राज्य में टीएमसी की सरकार आने से पहले तक सीपीएम के साथ था। कभी एक मजदूर रहे शाहजहां शेख ने इलाके में अपना वर्चस्व स्थापित करने में राजनीतिक रसूख की मदद ली। वह शुरुआत में में मछली पालन करने वाला एक वर्कर था। उसने कुछ समय तक जीविका चलाने के लिए ईंट भट्‌टे में भी काम किया। अपने परिवार में चार भाई-बहनों में सबसे बड़े शाहजहां शेख ने मजदूरी करते हुए एक यूनियन नेता के तौर पर राजनीति में कदम रखा। 2010 में जब राज्य की राजनीति की हवा बदली तो शाहजहां शेख ने इसे भांप लिया और फिर वह टीएमसी नेताओं से नजदीकी बढ़ाकर पार्टी में आ गया। और आज शाहजहां शेख राजनीती का जाना – माना चहरा है, लोग उनको भाई के नाम से जानते है।

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