Bajrang Dal: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 10 मई को होना है। इस दौरान कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र के एक ऐलान से बजरंग दल पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने बजरंग दल कार्यकर्ताओं की तुलना अंजनि पुत्र हनुमान से की है। स्थापना के 29 बसंत देख चुका बजरंग दल पहले भी कई बार अलग-अलग वजहों से विवादों में रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरह ही हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर बजरंग दल का अपना इतिहास है। बजरंग दल के काम करने का स्टाइल और संगठन की संरचना भी संघ से काफी हद तक अलग है। बजरंग दल की तुलना सिमी और पीएफआई जैसे आतंकी संगठनों से भी हो चुकी है।दरअसल, कर्नाटक में कांग्रेस ने बजरंग दल पर बैन करने की घोषणा की है। कांग्रेस का कहना है कि बजरंग दल के कार्यकर्ता नफरत और हिंसा बढ़ाने का काम करते हैं। इस वजह से समाज में वैमनस्यता फैलती है और लोगों में दूरियां बढ़ती हैं।
बरंगदल की शुरुआत
बजरंग दल का गठन 8 अक्टूबर 1984 को हुआ। इस दल को बनाने का मकसद संतों की यात्रा को सुरक्षा देना था। इस हिंदूवादी संगठन के गठन का इतिहास अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा हुआ है। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं में जागरूकता पैदा करने के लिए संतों की एक यात्रा निकाली जा रही थी। विश्व हिंदू परिषद के नेताओं को आशंका था कि संतों की इस यात्रा पर हमला हो सकता है। हिंदू वादी नेताओं ने उस समय की कांग्रेस सरकार से सुरक्षा की मांग की लेकिन राज्य सरकार ने संतों की यात्रा को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया। बजरंग दल संगठन को शुरू करने के जिम्मेदारी हिंदू जागरण मंच के विनय कटियार को दी गई।
‘बजरंग’ नाम हिन्दू राम भक्त हनुमान पर आधारित है। बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद की युवा शाखा है। इसका आधार देश के उत्तरी और मध्य भाग है। यह समूह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)की शाखाओं के समान लगभग 2,500 अखाड़े चलाता है। हिंदू विचारधारा, हिंदू संस्कृति का संरक्षण और हिंदू पहचान की सुरक्षा के लिए बजरंग दल काम करता है। यह संगठन कई बार विवादों में आया है। छह दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद इस संगठन पर प्रतिबंध भी लगा था। इस संगठन पर हिंसा और नैतिक पुलिसिंग के आरोप भी लगते हैं। बजरंग दल मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन भी चलाता है।
प्रतिबंध के बाद सियासत गर्म
बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद सियासत गर्म है। कांग्रेस शासित राज्यों के अलावा विपक्ष के अन्य नेताओं ने इस हिंदूवादी संगठन की आलोचना करते हुए इस पर बैन लगाने की बात कही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि यदि जरूरत होगी तब राज्य में भी परिस्थिति के अनुसार बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ‘बजरंगबली हमारे आराध्य हैं। वह बजरंग नाम जोड़कर गुंडागर्दी कर रहे हैं, यह तो उचित नहीं है।’ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि यह महाराष्ट्र में भी लागू हो सकता है। कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने के चुनावी घोषणा पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने को कांग्रेस को घेरा और राजस्थान में सत्तारूढ़ दल को इस राज्य में दक्षिणपंथी संगठन पर प्रतिबंध लगाने की चुनौती दी।
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