April Fool Day 2024: भारत में अप्रैल फूल बनाने का बड़ा क्रेज है। चाहे वह बड़े हो, छोटे हो या बूढ़े, हर उम्र के लोगों को अपनों के साथ अप्रैल फूल बना कर प्रैंक किया जाता है। आज हम इसका जिक्र इसलिए कर रहे है कि क्योंकि एक अप्रैल आ गया है। बता दे कि एक अप्रैल के दिन हर कोई अप्रैल फूल डे मनाता है। ये वो दिन है, जब लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवारालों से हंसी-मजाक करते हैं। बहुत से लोग तो इस कोशिश में रहते हैं, कि वो अपने जानने वाले के साथ प्रैंक कर सकें। जब उनकी कोशिश पूरी हो जाती है, तो वो खुशी से अप्रैल फूल चिल्लाते हैं।
वैसे तो इस दिन को हर कोई मनाता है, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसके पीछे का इतिहास नहीं पता होता है। अगर आपको भी इस बारे में नहीं पता है, तो बताते हैं, कि आखिर ये दिन क्यों मनाया जाता है?
क्यों मनाया जाता है अप्रैल फूल?
अप्रैल फूल डे के इतिहास के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। अगर पहली कहानी की मानें तो कई इतिहासकार मनाते हैं कि अप्रैल फूल डे का इतिहास तब का है जब 1582 में फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था।
उस दौरान जहां जूलियन कैलेंडर में एक अप्रैल से नया साल शुरू होता था, तो वहीं ग्रेगोरियन कैलेंडर में ये एक जनवरी शिफ्ट हो गया। इस बदलाव को बहुत से लोग समझ नहीं पाए। ऐसे में जो लोग जूलियन कैलेंडर के हिसाब से ही 1 अप्रैल को नया साल मनाते थे, उन्हें लोग फूल यानी कि बेबकूफ बोलने लगे और उनका मजाक उड़ाने लगे। इसी वजह से उन्हें अप्रैल फूल कहा जाने लगा और इस दिन की शुरुआत हो गई।
वेश बदलकर पागल बनाना
अगर बात करें दूसरी कहानी की तो कुछ इतिहासकारों ने इसे हिलेरिया से जुड़ा मानते है। बता दे कि हिलेरिया एक लैटिन शब्द है, जिसका मतलब आनंदित होता है। इसे प्राचीन रोम में एक समुदाय द्वारा एक त्योहार मनाया जाता है, जिसे हिलेरिया कहा जाता है। इस त्योहार में लोग अपना वेश बदलकर लोगों को पागल बनाने की कोशिश करते हैं। ये त्योहार भी मार्च के आखिर में मनाया जाता है। ऐसे में इसे भी अप्रैल फूल से जोड़ा जाता है।
इसको इटली, बेल्जियम और फ्रांस में अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे की पीठ पर कागज से बनी मछली चिपका देते हैं। जिस वजह से कई जगहों पर अप्रैल फूल को अप्रैल फिश भी कहते हैं।
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