Lohri 2024: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार बहुत ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ सिख समुदाय के लोगों द्वारा मनाया गया है। इस दिन सिख समुदाय के लोग अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हैं। इस बीच अग्नि में गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, पॉपकॉर्न आदि अर्पित किए जाते हैं और सब एक दूसरे को लोहड़ी की बधाइयां देते हैं। बताते हैं कि इस त्योहार को क्यों मनाया जाता है, इसे लोहड़ी क्यों कहा जाता है और कौन हैं?
कैसे मनाई जाती है लोहड़ी ?
दुल्ला-भट्टी जिनकी कहानी के बगैर इस त्योहार की रस्में पूरी ही नहीं होतीं है। दरअसल, लोहड़ी फसल और मौसम से जुड़ा पर्व है। इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं। रबी की फसल कटकर आती है। ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है। इस दिन फसल की पूजा भी की जाती है। चूंकि लोहड़ी के समय ठंड का मौसम होता है, इसलिए आग जलाने का चलन है और इस आग में तिल, मूंगफली, मक्का आदि से बनी चीजों को अर्पित किया जाता है। लोहड़ी के मौके पर लोग नए वस्त्र पहनकर तैयार होते हैं। इसके बाद डांस जरूर किया जाता है। कई जगह ढोल-नगाड़े बजते हैं। पुरुष और स्त्रियां मिलजुलकर भांगड़ा और गिद्दा करते हैं। इन लोकनृत्य में पंजाब की विशेष शैली देखने को मिलती है। लोहड़ी के मौके पर कुछ खास पारंपरिक गीत गाए जाते हैं। लोग एक दूसरे को गले मिलकर लोहड़ी की बधाई देते हैं। नई बहुओं के लिए ये दिन और भी विशेष होता है।
दुल्ला भट्टी की कहानी क्या है ?
लोहड़ी के मौके पर दुल्ला भट्टी की कहानी जरूर सुनाई जाती है। इस कहानी के बिना लोहड़ी की रस्म पूरी नहीं मानी जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि कौन हैं दुल्ला-भट्टी जिनकी लोहड़ी पर कहानी सुनाई जाती है। तो आपको बता दे कि अकबर के शासन काल में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहा करता था। उस समय लोग मुनाफे के लिए लड़कियों को बेचकर उनका सौदा कर लेते थे। एक बार संदलबार में लड़कियों को अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी ने सामान के बदले में इलाके की लड़कियों का सौदा होते देख लिया।
इसके बाद उन्होंने बड़ी चतुराई से न सिर्फ उन लड़कियों को व्यापारियों के चंगुल से आजाद कराया, बल्कि उनके जीवन को बर्बादी से बचाने के लिए उनका विवाह भी करवाया। इसके बाद से दुल्ला भट्टी को नायक के तौर पर देखा जाने लगा। लोहड़ी पंजाब का बड़ा पर्व है और इसमें परिवार, दोस्त और करीबी, तमाम लोग इकट्ठे होते हैं, ऐसे मौके पर दुल्ला भट्टी की कहानी इसलिए सुनाई जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे प्रेरणा लेकर घर की महिलाओं की हिफाजत करना सीखें, उनका सम्मान करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
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