UK : मॉरीशस, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत दुनिया भऱ के तमाम देशों में भारतवंशी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं तो मॉरीशस में भी कई बार भारतीयों के हाथ नेतृत्व रहा है। इसी कड़ी में अब ब्रिटेन में भारतीय मूल के ही ऋषि सुनक पीएम बने हैं तो यह चर्चा का विषय बन गया है। ब्रिटेन में पहली बार किसी दक्षिण एशियाई मूल के हाथों में सत्ता गई है। ऋषि सुनक के पूर्वज अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरांवाला में पैदा हुए थे, जो अब पाकिस्तान में है। यही वजह है कि भारत के अलावा पाकिस्तान में भी ऋषि सुनक से कनेक्शन की चर्चा हो रही है।
इस बीच महबूबा मुफ्ती और शशि थरूर जैसे नेताओं ने ऋषि सुनक के बहाने भारत को लेकर कहा है कि हमारे यहां ऐसा कब होगा। इसे लेकर विवाद भी तेज हो गया है। एक तरफ भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय से पीएम और राष्ट्रपति बनने वाले नाम गिना दिए हैं तो वहीं कुमार विश्वास ने उलटे महबूबा मुफ्ती पर तंज कसा है कि जम्मू-कश्मीर में कब अल्पसंख्यक को सीएम बनाया जाएगा। साफ है कि ऋषि सुनक भले ही सात समंदर पार ब्रिटेन के पीएम बने हैं, लेकिन भारत में उनकी ताजपोशी मुद्दा बन रही है। हालांकि ऋषि सुनक को ब्रिटेन की कमान मिलना भारत के लिए संदेश है या नहीं, यह जरूर विचार करने की बात है।
डॉ. जाकिर हुसैन से मुर्मू तक हैं सशक्त उदाहरण
आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में अब तक कई बार अल्पसंख्यकों को नेतृत्व का मौका मिला है। पीएम के तौर पर सिख समुदाय से आने वाले मनमोहन सिंह का लगातार दो कार्यकाल का नेतृत्व था। यही नहीं इसी दौरान उपराष्ट्रपति पद पर हामिद अंसारी को मौका मिला था। यानी देश की सत्ता के दो शीर्ष पदों पर अल्पसंख्यक थे। डॉ. जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैल सिंह, एपीजे अब्दुल कलाम और अब आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति का पद मिला है। खुद कांग्रेस की लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी भी इटली मूल की ही हैं। उनके नेतृत्व को कांग्रेस पार्टी ने ही बल्कि देश ने भी मान दिया है।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र ने कई बार दिया संदेश
साफ है कि भारत में कई बार अल्पसंख्यक समुदाय को नेतृत्व का अवसर मिला है और ऐसे पिछड़े वर्ग के नेता भी शीर्ष पर पहुंचे हैं, जो लंबे समय तक दमन का शिकार रहे समाज से आते थे। इन आंकड़ों पर नजर डालें तो ब्रिटेन में ऋषि सुनक का पीएम बनना भले ही भारतीय समुदाय के लिए गर्व का विषय है, लेकिन भारत के लिए संदेश जैसा कुछ नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाने वाला भारत कई बार साबित कर चुका है कि कैसे यहां किसी भी समुदाय का व्यक्ति नेतृत्व कर सकता है।
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