डिंपल यादव को लेकर इतना बड़ा जोखिम उठाएंगे अखिलेश?

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आगामी राज्यसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी (एसपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से लगभग तैयारियां पूरी कर लीं गई हैं. एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने तो यहां तक साफ कर दिया है कि आगमी राज्यसभा चुनाव में पार्टी की तरफ से 3 उम्मीदवारों को ही उतारा जाएगा.

दरअसल पहले कयास लगाए जा रहे थे कि डिंपल यादव, कपिल सिब्बल और जावेद अली खान को एसपी ने राज्यसभा भेजने की तैयारी है. मगर अचानक खबर आती है कि डिंपल यादव की जगह आरएलडी चीफ जयंत चौधरी राज्यसभा जाएंगे. हालांकि, यह साफ नहीं हो पाया कि अचानक एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने डिंपल यादव को लेकर फैसला कैसे बदल लिया?

क्या डिंपल आजमगढ़ से उपचुनाव लड़ेंगी?
एक थ्योरी ये भी सामने आई कि अखिलेश यादव, जयंत चौधरी को राज्यसभा भेज कर डिंपल यादव को आजमगढ़ से उपचुनाव में उतारना चाहते हैं. बता दें कि आजमगढ़ सीट को एसपी की मजबूत सीट के तौर पर देखा जाता है, जहां 2014 और 2019 में ‘मोदी लहर’ में भी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ने बीजेपी को शिकस्त दी थी. अब सवाल उठता है कि क्या आजमगढ़ सीट से डिंपल यादव को उतार कर अखिलेश यादव अपनी सीट बचा पाएंगे? हालांकि आजमगढ़ सीट पर सिर्फ अखिलेश यादव की साख ही दांव पर नहीं लगी है, बल्कि डिंपल यादव के पॉलिटिकल कैरियर के लिए भी ये सीट जीतना बहुत महत्वपूर्ण है. जानकारों की मानें तो अगर डिंपल यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ती हैं, तो ये ऐसा दूसरा मौका होगा जब वो अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव लड़ रही होंगी.

डिंपल यादव का पहला अनुभव अच्छा नहीं रहा है, क्योंकि 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर ने फिरोजाबाद सीट पर डिंपल को शिकस्त दे दी थी. असल में 2009 में अखिलेश यादव फिरोजाबाद और कन्नौज सीटों से चुनाव लड़े थे, लेकिन बाद में उन्होंने फिरोजाबाद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं, 2019 में डिंपल यादव कन्नौज से एसपी की उम्मीदवार थीं, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी से वह चुनाव हार गईं.

फ़िलहाल सियासी गलियारों में ऐसा कहा जा रहा है कि अगर डिंपल यादव आजमगढ़ से उपचुनाव लड़ती हैं तो उनके लिए जीतना जरूरत से ज्यादा मजबूरी बन जाएगी. क्योंकि बीजेपी के लिए आजमगढ़ भले ही एक लोकसभा सीट हो, लेकिन डिंपल यादव और अखिलेश यादव के लिए ये सीट नाक की लड़ाई है.

 

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