जल्द खत्म हो जाएगा PSL? Sourav Ganguly के बयान ने क्रिकेट जगत में मचाई सनसनी

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टीम इंडिया (Team India) के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने सोमवार को कहा कि खिलाड़ियों का टी20 लीग (T20 Leagues) को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (International Crickets) पर तरजीह देना ज्यादा लंबे समय तक टिकने वाला नहीं है क्योंकि भविष्य में आर्थिक रूप से मजबूत कुछ ही लीग चल सकेंगी। दुनिया भर में टी20 लीग की बढ़ती संख्या के बीच अब खिलाड़ी देश के लिये खेलने पर फ्रैंचाइजी क्रिकेट को तरजीह देने लगे हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL), बिग बैश लीग (Big Bash League) के बाद अब यूएई और दक्षिण अफ्रीका में लीग हो रही है। इसके अलावा साल के आखिर में अमेरिका में भी एक लीग की योजना है।

सौरव गांगुली ने की ये भविष्यवाणी

गांगुली ने स्पोर्टस्टार के एक कार्यक्रम में कहा, ‘हम दुनिया भर में हो रही लीग के बारे में बात करते रहते हैं. आईपीएल बिल्कुल अलग तरह की लीग है. ऑस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग भी अच्छा कर रही है और इसी तरह ब्रिटेन में द हंड्रेड ने अच्छा किया. दक्षिण अफ्रीका लीग भी अच्छा कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘ये सभी लीग उन देशों में हो रही है जहां क्रिकेट लोकप्रिय है. मेरा मानना है कि आने वाले चार पांच साल में कुछ ही लीग बची रहेंगी और मुझे पता है कि वे कौन सी होंगी।’

PSL की हालत खराब

गांगुली के इस बयान के बाद आर्थिक रूप से तंग रही लीगों के टेंशन को बढ़ा दिया है। इसमें सबसे बड़ा नाम पीएसएल का है। पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक तंगी का समना कर रहा है। किसी भी लीग को विदेशी खिलाड़ी ही चमकाते हैं। पीएसएल में विदेशी खिलाड़ी भी भाग लेते हैं और उन खिलाड़ियों को डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया बेहद कमजोर है। ऐसे में इस लीग का ज्यादा दिनों तक टिक पाना मुश्किल नजर आ रहा है।

खिलाड़ी देश के लिए खेलने को दे तरजीह

बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘फिलहाल हर खिलाड़ी नई लीग से जुड़ना चाहता है लेकिन आने वाले समय में उन्हें पता चल जायेगा कि कौन सी महत्वपूर्ण है. ऐसे में देश के लिए खेलने को लीग क्रिकेट पर तरजीह दी जायेगी.’ उन्होंने क्रिकेट प्रशासन की अहमियत पर जोर देते हुए जिम्बाब्वे का उदाहरण दिया जहां प्रशासनिक कारणों से क्रिकेट का पतन हो गया. उन्होंने कहा, ‘मैं पांच साल बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष रहा और फिर तीन साल बीसीसीआई का अध्यक्ष रहा. मैने आईसीसी में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया और देखा है कि बुनियादी ढांचे और सहयोग से ही खेल संभव है।’

टीम मैनेजमेंट पर कही ये बड़ी बात 

गांगुली ने कहा, ‘मैने पहला वर्ल्ड कप 1999 में खेला. जिम्बाब्वे उस समय किसी को भी हरा सकता था. उस समय जिम्बाब्वे क्रिकेट के पास ज्यादा पैसा नहीं था. भारत के पास भी नहीं था. वेस्टइंडीज के पास माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबटर्स या जोएल गार्नर के समय में कहां पैसा था. खिलाड़ियों के लिए अच्छा प्रशासन बहुत जरूरी है. पैसा कोई मसला नहीं है. खिलाड़ियों और प्रशासकों के बीच अच्छे संबंध होने से कई समस्या सुलझ जाती है।

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