क्या ज्ञानवापी मस्जिद विवाद, प्लेसेज आफ वरशिप ऐक्ट के अन्तर्गत आयेगा?

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पहले तो सबसे बड़ा मुद्दा राम मंदिर का था जिसे कभी कांग्रेस की सरकार ने ध्रुवीकरण का जरिया बनाया था। जबकि दो दशकों से भारतीय जनता पार्टी ने इसे सबसे बड़ा चुनावी हथियार बनाया, और इसका फायदा उसे केन्द्र और उत्तर प्रदेश में भी लगातार बहुमत के रूप में प्राप्त हुआ। हालांकि राम मंदिर का विवाद तो सुलझ गया परंतु मथुरा और काशी का विवाद मौजूदा हालात को गंभीर बनाये हुए है। राम मंदिर का मुद्दा कोर्ट ने ही हल किया लेकिन फिर भी भारतीय जनता पार्टी इसका श्रेय खुद ले रही है। कहीं न कहीं यह कड़वा सच भी है।  यदि बाबरी विध्वंश न होता तो शायद राम मंदिर बनने का रास्ता प्रशस्त न हो पाता।

HC stays ASI survey of UP's Gyanvapi mosque | Latest News India - Hindustan  Times

हमारे देश में मंदिर मस्जिद का विवाद कोई नई बात नहीं है लेकिन, इन दिनों दोनों समुदायों के बीच यह विवाद काफी बढ़ता ही जा  रहा है। कोर्ट के आदेश के बाद ही ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे कराया गया था। काशी में ज्ञानवापी मस्जिद में बजू (हाथ पैर धोना) के तालाब में स्थित कुएं में शिवलिंग मिला है। जिसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। जबकि हिन्दू पक्ष शिवलिंग की बात कह रहा है। हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद उस जगह को सील कर दिया गया है।

इसके खिलाफ मुस्लिम में पक्ष ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जिसमें उन्होंने प्लेसेज आफ वरशिप ऐक्ट, 1991 का हवाला दिया है। जिसके आधार पर जो भी धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल जिस रूप में हैं वो वैसे ही रहेगा।

Hindu Temple Under Varanasi's Gyanvapi Mosque? Court Orders Survey

इन्हीं धार्मिक स्थलों पर पूजा के विवाद को रोकने के लिए है नरसिंह राव सरकार ने प्लेसेज आफ वरशिप ऐक्ट, 1991 को लेकर आई। जिसके मुताबिक 1947 में आजादी के बाद जो भी पूजा स्थल जिस स्वरूप में जिस धार्मिक समुदाय के द्वारा उपासना का केन्द्र बना हुआ है, वह वैसा ही रहेगा। जबकि राम मंदिर के मामले पर यह कानून लागू नहीं होता क्योंकि उस समय यह मामला हाईकोर्ट में लंबित था। इसके अलांवा इस कानून में यह भी कहा गया है कि जो भी धार्मिक स्थल प्राचीन हैं उसे भी इस कानून के दायरे में नहीं आयेंगे। इस कानून में प्राचीन की भी परिभाषा बताई गई है जिसके मुताबिक जो भी स्थल 100 वर्ष या उससे अधिक पुराने हैं, उन्हें प्राचीन माना जायेगा। बीजेपी नेता और वकील इसी तथ्य के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद प्लेसेज आफ वरशिप ऐक्ट के अन्तर्गत नहीं आयेगा। क्योंकि काशी और मथुरा तो 100 वर्ष से भी ज्यादा पुराने हैं। इस तरह के सैकड़ों मंदिर देशभर में हैं।

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