Patna High Court : बीते 24 जून को उत्तराखण्ड के रूड़की में चलती में कार छह साल की मासूम और उसकी मां के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस बीच दुष्कर्म के ही मामले में पटना हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
हाईकोर्ट ने कहा, “केवल इस आधार पर रेप को सहमति से सेक्स नहीं माना जा सकता कि पीड़िता ने वारदात के समय शारीरिक रूप से कोई प्रतिरोध नहीं किया।” हाईकोर्ट ने 2015 के एक मामले की सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की। इस केस में पीड़ित महिला को घसीटते हुए एक कमरे में ले जाया गया और फिर इसके बाद उसके साथ रेप किया गया।
मजदूरी मांगने पर कर दिया था रेप –
Patna High Court : पीड़िता के बयान में अदालत को कोई खामी नहीं मिली, जिसे निचली अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में पेश किया गया था। आपको बता दें, ये घटना 9 अप्रैल 2015 की है जब पीड़िता, जो ईंट भट्ठे में काम करने वाली मजदूर थी और उसने मालिक से मजदूरी मांगी थी। उसे कहा गया कि मजदूरी बाद में मिल जाएगी, मगर उसी रात जब पीड़िता अपने घर में खाना बना रही थी तो आरोपी वहां आया और उससे उसके बेटे का ठिकाना पूछा।
बाद में आरोपी उसे खींचकर दूसरे कमरे में ले गया और दरवाजा बंद करने के बाद चुप रहने के लिए उसका मुंह दबा दिया और फिर उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता के शोर मचाने पर ग्रामीण उसे बचाने आए और अगली सुबह प्राथमिकी दर्ज कराई गई। पीड़िती ने उस वक्त पूछताछ के दौरान बतया था कि सका पति आजीविका कमाने के लिए स्टेशन से बाहर था और उसका बेटा सिर्फ चार साल का था। अदालत ने कहा कि ‘ऐसी परिस्थितियों में, उसके लिए प्रतिरोध करना संभव नहीं था।’
Patna High Court : इस मामले में निचली अदालत से रेप के आरोपी को मिली एक सजा के खिलाफ अपील की गई थी। पटना हाईकोर्ट के जस्टिस एएम बदर ने दोषी पाए गए शख्स की अपील को खारिज करते हुए कहा कि, “IPC की धारा 375 का प्रावधान यह स्पष्ट करता है कि केवल इसलिए कि एक महिला ऐसे कृत्य का शारीरिक रूप से विरोध नहीं करती है, इसे यौन गतिविधि के लिए सहमति नहीं माना जा सकता है।”
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