COVID-19 के कारण चीन (China) में जीवन पूरा अस्त-व्यस्त हो गया है. जीरो कोविड पॉलिसी (Zero Covid Policy) में ढील देने के बाद से देश में कोरोना ने बुरी तरह से तबाही मचाई हुई है. चीन में मौतों की बढ़ती संख्या के बीच अब देश ने आइसब्यूरियल तकनीक (Iceburial Technology) पेश की है ताकि शवगृहों में भीड़ कम हो सके. इस तरीके का परीक्षण चीन के वुहान शहर में किया जा रहा है. यह जानकारी चीन में कोरोना से पैदा हुई वहां की स्थिति को रिपोर्ट करने वाली जेनिफर ज़ेंग द्वारा दी गई है।
क्या है IceBurial टेक्नोलॉजी?
चीन पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट जर्नलिस्ट जेनिफर ज़ेंग ने अपने ट्वीट में कहा है, कि चीन के लिए लोगों की मौत एक असुविधाजनक सत्य है, जिसे बड़े पैमाने पर छिपाया जाएगा। उन्होंन अपने ट्वीट में कहा है, कि “इस प्रकार का अंतिम संस्कार परीक्षण के आधार पर वुहान शहर में चलाया गया है। इस तरीके में शवों को फौरन लिक्विड नाइट्रोजन में माइनस 196 डिग्री पर जमाया जा सकता है, और फिर उसे पाउडर के रूप में बदल दिया जाता है”। उन्होंने कहा, कि ये प्रक्रिया काफी तेज होती है और श्मशान में एक शव के संस्कार में जितना वक्त लगता है, उससे काफी ज्यादा तेजी से ये प्रक्रिया संपन्न होती है।
काफी कम लगता है वक्त
आइसब्यूरियल टेक्नोलॉजी में काफी कम वक्त लगता है और ये पूरी प्रक्रिया प्रक्रिया एक कस्टम-निर्मित मशीन में होती है। इस प्रक्रिया के तहत मृतक के शव को डिवाइस में डाला जाता है और फिर मशीन उस शव के अंदर मौजूद पानी को पूरी तरह से सुखा देता है। फिर लिक्विड नाइट्रोजन से शव जम जाता है और कुछ मिनटों में डिवाइस के अंदर सिर्फ धूल बचता है। स्वीडन के प्रोमेसा ऑर्गेनिक ने जीवविज्ञानी सुज़ैन वाईघ-मसाक के नेतृत्व में प्रोमेसन नाम के इस विधि को विकसित किया था, जिसमें इंसानी शरीर को कार्बनिक पदार्थ में बदल दिया जाता है, जो एक साल के अंदर में मिट्टी में परिवर्तित हो जाता है।
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