तवांग में हुई हिंसक झड़प पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में अपना बयान दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि 9 दिसंबर को यथास्थिति बदलने की कोशिश हुई थी। उन्होंने कहा कि हमारा कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ है और ना हमारा कोई सैनिक गंभीर रूप से घायल हुआ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि चीन ने सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ने का काम किया। चीन के सैनिकों को पीछे जाना पड़ा। राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग भी हुई। रक्षा मंत्री ने कहा कि हम सेना के शौर्य का अभिनंदन करते हैं।
बता दें कि राजनाथ सिंह के बयान के बाद हंगामा करते हुए विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। उन्होंने इस मामले पर सदन में चर्चा कराने की मांग की। बता दें कि राजनाथ सिंह अब दोपहर दो बजे इस मुद्दे पर राज्यसभा में अपना बयान देंगे।
वहीं अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का बयान आया है और उन्होंने कहा है कि 1962 में चीन ने बड़े हिस्से पर कब्जा किया था, लेकिन अब एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं करने देंगे। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि देश में अब बीजेपी की सरकार है।
लोकसभा में बोले राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संक्षिप्त में तवांग झड़प पर बयान देते हुए कहा कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पीएलए के सैनिकों ने अतिक्रमण किया और यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। इस प्रयास का हमारे सैनिकों ने दृढ़ तरीके से सामना किया। हमारे सैनिकों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले को राजनयिक माध्यमों से चीन के साथ भी उठाया गया है। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे चुनौती देने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए तैयार हैं।
राजनाथ सिंह बोले- दोनों पक्षों के सैनिकों को आई चोटें
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मृत्यु नहीं हुई या उसे कोई गंभीर चोट नहीं आई। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर हस्तक्षेप के कारण, पीएलए सैनिक अपने स्थान पर पीछे हट गए हैं।
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