7 जुलाई 1981 को जन्मे भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी गुरुवार को 41 साल के हो गए। एमएस धोनी ने अपने करियर में वह सब कुछ देखा, जो एक खिलाड़ी सिर्फ कल्पना कर सकता है। लेकिन धोनी के लिए टीम इंडिया में जगह बनाने की राह आसान नहीं थी। 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू मैच खेलने वाले धोनी इस मैच में खाता भी नहीं खोल सके थे। लेकिन अगले ही कुछ मैच के बाद पाकिस्तान के खिलाफ एमएस धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का पहला शतक लगाकर दुनिया को दिखा दिया था कि उनमें कुछ खास है। उन्होंने 123 गेंदों में ताबड़तोड़ 148 रन की पारी खेली थी। धोनी ने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ 2 दिसंबर 2005 में की थी। वहीं एमएस धोनी ने अपना पहला टी-20 इंटरनेशनल मैच 1 दिसंबर 2006 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग में खेला था। इस मैच में भी धोनी बिना खाता खोले पवेलियन लौटे थे। बचपन में फुटबॉल खेलना पसंद करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और क्रिकेट की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई।
धोनी को शुरू से ही बड़ी हिट लगाने का शौक रहा था और इसका फायदा भारतीय टीम को मिला। उन्होंने अपने तेजतर्रार गेम की वजह से भारतीय टीम में सभी प्रारूपों में जगह बनाने में कामयाबी पाई। धोनी को उनके क्रिकेट दिमाग के चलते जल्द ही उन्हें टी20 टीम का कप्तान बनाया गया। युवाओं से सजी टीम एमएस धोनी के नेतृत्व में 2007 के आईसीसी टी20 विश्व कप का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया। इसके बाद धोनी ने 4 साल बाद भारतीय टीम को 28 साल बाद वनडे विश्व कप ट्रॉफी भी दिलवाई। भारत के पूर्व कप्तान ने एमएस धोनी ने 15 अगस्त 2020 को संन्यास लिया था।
2007 में जीता टी-20 का पहला विश्व कप
2007 में जब एमएस धोनी को भारतीय टीम की कप्तानी दी गई, तो ये किसी को नहीं पता था कि ये खिलाड़ी भारत को एक बार नहीं बल्कि दो बार विश्व चैंपियन बनाएगा। उनकी कप्तानी ने भारत ने कई बडे़ टूर्नामेंट जीते और इसकी शुरुआत टी-20 वर्ल्ड कप से हुई। 2007 में पाकिस्तान को फाइनल में हराकर धोनी ने पहला टी-20 विश्व कप भारत के झोली में डाली। इसके बाद धोनी को जल्द ही वनडे और टेस्ट की कप्तानी भी मिल गई। पहले टेस्ट में और फिर वनडे में टीम इंडिया को बादशाहत हासिल हुई।
28 साल बाद भारत को बनाया विश्व विजेता
कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय टीम ने 1983 में आखिरी बार विश्व कप जीता था, जिसके बाद कई कप्तानों ने ट्रॉफी जीतने के लिए अपना पूरा दमखम लगाया। लेकिन कामयाबी किसी को नहीं मिली। लेकिन 2011 में भारत में खेले गए वनडे वर्ल्ड कप में सीनियर और युवा खिलाड़ियों से सजी धोनी की टीम ने वो कारनामा कर दिखाया था, जिसका हर देशवासी 28 साल से इंतजार कर रहा था। धोनी की कप्तानी में जीत की शुरुआत बांग्लादेश को बांग्लादेश की सरजमीं पर हराकर ही हुई थी। इसके बाद आयरलैंड, नीदरलैंड, वेस्टइंडीज को हराकर भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंची। जहां भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ और टीम इंडिया ने कंगारुओं को 5 विकेट से हरा दिया। इसके बाद सेमीफाइनल में अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 29 रनों से हराकर फाइनल में जगह बनाई। भारतीय टीम ने फाइनल में गौतम गंभीर और धोनी के अर्धशतक की बदौलत श्रीलंका को 6 विकेट से हरा दिया और 28 साल बाद विश्व चैंपियन बना।
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