सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे कल्याणकारी कार्यक्रमों पर होने वाले खर्च को लगभग 50 फीसदी बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपये तक कर सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार का न केवल रोजगार बढाने पर जोर है बल्कि किफायती आवास (affordable housing) को बढ़ावा देने पर भी वह ध्यान दे रही है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2023/24 के लिए अंतिम पूर्ण बजट अगले साल 1 फरवरी को पेश कर सकती है।
भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से से शुरू होकर 31 मार्च तक चलता है। रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1.36 लाख करोड़ रुपये रुपये आवंटित किए थे, लेकिन यह बढकर 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। बढी हुई राशि का उपयोग कोरोना महामारी के मद्देनजर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को दूर करने के लिए किया जा सकता है।
ग्रामीण इलाकों में रोजगार की गारंटी देने वाली मनरेगा योजना के लिए इस साल के बजट में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। जिसे बाद में बढाकर 98,000 करोड़ रुपये कर दिया गया। ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, सरकार मनरेगा योजना पर अब तक 632.6 अरब रुपये खर्च कर चुकी है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के अधिकांश महीनों में ग्रामीण बेरोजगारी दर 7 फीसदी से ऊपर रही है।
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