न माफिया डॉन बाप अतीक और न ही ‘फरार’ मां शाइस्ता पहुंच सके कब्रिस्तान, दादा-दादी के बगल दफनाया गया Asad

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उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी असद अहमद (Asad Ahmed) का अंतिम संस्कार शनिवार को प्रयागराज में किया गया. असद को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया. अंतिम संस्कार में 25 से 30 लोग ही शामिल हुए. इस दौरान उसकी बुआ और नाना समेत परिवार के कुछ अन्य लोग मौजूद रहे. पुलिस की कड़ी सुरक्षा में उसको सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस दौरान ड्रोन से निगरानी की गई. कब्रिस्तान में कुछ दूर पहले ही मीडिया की एंट्री भी रोक दी गई. बीते दिनों एक एनकाउंटर में यूपी पुलिस की एसटीएफ ने झांसी में असद अहमद को मार गिराया था।

Special Story: पहली बार यूपी चुनाव में दूर अतीक अहमद, पत्नी शाइस्ता ने नामांकन नहीं करके छोड़ा मैदान | mafia atiq ahmed not contesting in assembly elections wife shaista parveen did not

हालात ये है कि जिस अतीक के नाम की तूती पूरे यूपी में बोला करती थी, आज उसी माफिया के बेटे के अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में शामिल होने से लोग कतरा रहे हैं। संभावना जताई जा रही थी कि अतीक की पत्नी और असद की मां शाइस्ता अंतिम संस्कार में शामिल हो सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। असद के शव को उसके दादा फिरोज के बगल में दफनाया गया है।

आज सबसे दिलचस्प बात यह रही कि, असद के कफ़न-दफन के वक्त ना तो उसके पिता अतीक अहमद पहुंचा और ना ही चाचा अशरफ और आज ना ही उसकी । मां उसके जनाजे को देख सकी। जबकि अतीक और उसका भाई दोनों इस समय प्रयागराज में ही पुलिस के कस्टडी रिमांड पर हैं। वहीं शाइस्ता फिलहाल फरार है।

Asad Last Rites: न अतीक पहुंचा, न आई शाइस्ता, पुलिस के पहरे में दफन किया  गया असद - atique ahmad son asad buried kasari masari cemetery shooter  ghulam umesh pal murder case

हालांकि अतीक और उसके भाई ने दफन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोर्ट में अर्जी भी लगाई थी। वहीं थोड़ी देर पहले तक दावा किया जा रहा है कि बेटे के दफन के वक्त शाइस्ता परवीन आ सकती है। इसके लिए पुलिस ने पूरे सुरक्षा इंतजाम भी किए थे। लेकिन अंतिम वक्त तो उसकी भी कोई खबर नहीं मिली है।

बता दें कि, असद के परिजन बीते शुक्रवार की देर रात झांसी से असद का शव लेकर प्रयागराज के लिए निकले थे। वहीं आज यानी शनिवार सुबह ही परिजन शव लेकर कब्रिस्तान पहुंचे। जहां आज सिर्फ आधे घंटे के अंदर ही शव को दफन कर दिया गया। हालांकि इसके लिए एक दिन पहले ही परिजनों ने कब्रिस्तान में कब्र खुदवा लिया था। असद के दफन के वक्त उसके नाना और फूफा समेत कुल 35 रिश्तेदार मौजूद रहे। इस प्राकर देखा जाए तो कभी उत्तरप्रदेश में आतंक का सिरमौर रहा अतीक का परिवार आज अपने घर के चिराग के बुझने पर, उसकी कब्र में मिट्टी भी न डाल सका। वहीं गुलाम के शव को अंतिम संस्कार के लिए दूसरी जगह ले जाया गया है।

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