आज सपा संस्थापक और समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनसे जुड़े किस्से और कहानियां राजनीतिक गलियारों और मीडिया के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। मुलायम सिंह की जिंदगी में अमर सिंह का एक अहम रोल था। हालांकि अमर सिंह भी आज हमारे बीच नहीं हैं।
एक समय था जब मुलायम सिंह अपने सबसे अच्छे दोस्त अमर सिंह से बात किए बिना कोई भी फैसला नहीं करते थे। लेकिन कहते हैं ना कि वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता। अमर सिंह और मुलायम सिंह की दोस्ती और दुश्मनी किस्से बेहद दिलचस्प हैं। एक ऐसा भी वक्त था जब अमर सिंह की पार्टी में ही नहीं यादव परिवार के निजी मसलों में अहम भूमिका रहती थी।
लेकिन बाद में एक ऐसा वक्त आया जब अमर सिंह मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को कोसते रहे। उन्होंने कई दफा बताया कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए क्या-क्या किया। लेकिन उसका परिणाम सही नहीं रहा।
अब जब बात मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक सफर की बात हो रही है। तो हम आपको आज नेताजी और अमर सिंह के बीच गुजरे घटनाक्रम की चर्चा करते हैं।
मुलायम सिंह यादव का अमर सिंह के साथ बेहद करीबी रिश्ता रहा। मुलायम सिंह और अमर सिंह के रिश्ते की शुरुआत आजमगढ़ के पारिवारिक मित्र ईशदत्त यादव के जरिए हुई थी। इन्होंने ही दोनों की पहली बार मुलाकात कराई थी। यह मुलाकात आगे बढ़ी और 1996 में अमर सिंह पहली बार राज्यसभा भेजे गए। 2002 में दोबारा वह सपा से राज्यसभा पहुंचे। उसके बाद अमर सिंह ने पार्टी का जुड़ाव बॉलीवुड और कॉर्पोरेट से कराया। अमर सिंह का पार्टी में दबदबा इतना बढ़ा कि वह दूसरे नंबर के नेता के रुप में उभरे।
दोनों की दोस्ती इतनी अच्छी थी कि जब 2010 में आजम खान के दबाव में अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया लेकिन उसके बाद 2016 के राज्यसभा चुनाव में पार्टी के विरोध के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह का समर्थन किया। मुलायम सिहं ने एक बार कहा था कि अमर सिंह ने मुझे जेल जाने से बचाया है। अगर वे न बचाते तो मुझे सात साल की कैद हो जाती।
यह तो रही राजनीति की बात अब बात करते हैं कि अमर सिंह की, आखिर कैसे बन गए यादव परिवार के सबसे बड़े हिमायती। वैसे तो इस बात को साबित करने के लिए तमाम किस्से हैं। लेकिन सबसे चर्चित किस्सा है जब यादव परिवार अखिलेश और डिंपल की शादी के खिलाफ था। अमर सिंह ने बताया था कि अखिलेश अपने पिता की मर्जी के खिलाफ अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहते थे। इसमें अमर सिंह उनका साथ दिया था। कहा जाता है कि अखिलेश की शादी की हर फोटो में अमर सिंह मौजूद थे। दावा यह भी किया जाता है कि अखिलेश को राजनीति में लाने वाले भी अमर सिंह थे।
इन नजदीकियां होने के बावजूद आजम खान की वजह से अमर सिंह की यादव परिवार से दूरियां बढ़ गई। जिसके बाद अमर सिंह ने यादव परिवार को जमकर मीडिया में कोसा। आपसी मतभेद के चलते अमर सिंह 6 जनवरी 2010 को सपा के सभी प्रारुपों से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने उन्हें 2 फरवरी, 2010 को पार्टी से निष्काषित कर दिया।
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अमर सिंह के पार्टी से बाहर होने के बाद आजम खान यादव परिवार की खास कड़ी बन गए। एक चैनल से बात करते हुए अमर सिंह ने मुलायम सिंह को लेकर कहा था कि यह वो पार्टी है जिसके मुखिया ने कहा कि सुन्दर और आकर्षक महिला को देखकर लड़कों का मन मचल जाता है। जब मन मचलता है तो गलती हो जाती है और बलात्कार हो जाता है। उनको कड़ी सजा नहीं देनी चाहिए।
वहीं अखिलेश यादव को लेकर अमर सिंह ने कहा था कि उनको पैदा करने के अलावा मैने उनका सब कुछ किया है। उनको पढ़ाया मैंने, उस लायक बनाया कि आज वो बड़ी-बड़ी बाते कर रहे हैं।
उन्होंने आजम खान पर कार्रवाई न करने के बाद कहा था कि समाजवादी पार्टी नमाजवादी पार्टी बन गई है। मौलाना मुलायम बड़े मौलाना थे और अखिलेश यादव छोटे मौलाना हैं। अखिलेश के बाप बड़े नेता थे, अखिलेश तो आधे हो गए हैं।
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