Rishi Sunak : ब्रिटेन (Britain) में प्रधानमंत्री पद की दौड़ अब रोचक मोड़ पर पहुंच चुकी है। भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक ऋषि सुनक (Rishi Sunak) इस रेस में सबसे आगे हैं। इस बीच ऋषि सुनक ने चीन (China) को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि अगर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते हैं तो एशियाई महाशक्ति चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। सुनक ने चीन को घरेलू और वैश्विक सुरक्षा के मद्देनजर सबसे बड़ा खतरा करार दिया।
ऋषि सुनक ने ब्रिटेन में चीन के सभी 30 कन्फ्यूशियस संस्थानों को बंद करने का वादा किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि वो सत्ता में आते हैं तो चीन के खिलाफ सख्त नीति अपनाई जाएगी। सुनक ने अपने बयान में कहा, “मैं चीन को हमारे विश्वविद्यालयों पर कब्जा करने से रोकूंगा, और ब्रिटिश कंपनियों और पब्लिक इंस्टीट्यूशन को साइबर सुरक्षा प्रदान करूंगा।” बता दें ये कन्फ्यूशियस संस्थान चीनी सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं और इसके जरिए संस्कृति और भाषा से जुड़े कार्यक्रम करवाए जाते हैं, लेकिन आलोचकों का दावा है कि इसके जरिए चीन अपने एजेंडे का प्रसार कर रहा है।
राष्ट्रपति बाइडेन के साथ चीन के खिलाफ करुंगा काम –
Rishi Sunak : ब्रिटेन की स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ऋषि सुनक ने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि ‘वो हमारी तकनीक चुरा रहा है और हमारे विश्वविद्यालयों में घुसपैठ कर रहा है। इसने यूक्रेन पर पुतिन के हमले को बढ़ावा दिया, ताइवान को धमकाता है और शिनजियांग और हांगकांग में मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। ये इनकी करेंसी को वैश्विक स्तर पर दबाने के प्रयास करता है ताकि चीजें उसके पक्ष में रहें।’
सुनक ने अपने बयान कहा, “मैं राष्ट्रपति बाइडेन और अन्य वैश्विक नेताओं के साथ काम करूंगा ताकि वेस्ट जो चीन के खतरे के प्रति आंखें मूंदे हैं उन्हें चीन के खिलाफ में बदल दूंगा।”
Rishi Sunak : इसके साथ सुनक ने ये प्रण लिया है कि वो चीन की तकनीकी आक्रमकता को रोकने के लिए विश्व का नेतृव करेंगे। चीन हाइयर एजुकेशन बिल में संशोधन से लेकर ब्रिटेन ब्रिटिश विश्वविद्यालयों को 50,000 पाउंड से अधिक की विदेशी फंडिंग देकर चीन अपनी तकनीकी आक्रमकता को बढ़ा रहा है।
यही नहीं सुनक ने यूके-चीनी रिसर्च पार्टनरशिप की समीक्षा करने की भी बात कही है जो तकनीकी रूप से चीन की सहायता कर सकता है या सैन्य ऐपलीकेशन्स के साथ-साथ MI5 की तक उसकी पहुंच बना सकता है। इससे चीनी औद्योगिक जासूसी को काउन्टर करने में ब्रिटिश व्यवसायों और विश्वविद्यालयों को मजबूती मिलेगी।
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