Supreme Court Hearing on NOTA: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान हो रहा है। इस बीच शुक्रवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में वोटिंग से जुड़े एक अहम मुद्दे पर सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है कि किसी भी प्रत्याशी से ज्यादा वोट NOTA को मिलने पर दोबारा चुनाव की मांग। मोटिवेशनल स्पीकर शिव खेड़ा की ओर से दाखिल की गई इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की।
बता दें कि फिलहाल ये व्यवस्था है कि प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा वोट पाने वाले को विजेता माना जाता है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इसी व्यवस्था के चलते सूरत से एक प्रत्याशी को निर्विरोध निर्वाचित किया गया है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि यह विषय विस्तृत सुनवाई का है। इस याचिका का असर सूरत सीट के नतीजे या मौजूदा लोकसभा चुनाव के किसी भी पहलू पर नहीं पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने रखी ये मांग
दरअसल, शिव खेड़ा की ओर से दायर इस याचिका में यह नियम बनाने की भी मांग की गई है कि NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसके अलावा नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए। बता दे कि इस मामले की सुनवाई CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच कर रही है।
आखिर क्या है NOTA?
बता दे कि भारत में नोटा का विकल्प 2013 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद आया था। जिसका मतलब नन ऑफ द अबव यानी NOTA एक वोटिंग ऑप्शन है, जिसके तहत मतदाता किसी भी प्रत्याशी के पसंद न आने पर इस विकल्प का उपयोग कर सकता है। भारत में शुरू कराने के पीछे पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने काफी लंबी लड़ाई लड़ी थी। यहां यह समझना जरूरी है कि भारत में नोटा राइट टु रिजेक्ट के लिए नहीं है। मौजूदा कानून के अनुसार, NOTA को ज्यादा वोट मिलते हैं तो इसका कोई कानूनी नतीजा नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अगले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।
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