क्यों समलैंगिक को जज नहीं बनाना चाहती सरकार? कोर्ट ने किया विरोध

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भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल की जज के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी है. आपत्ति के दो आधार बताए गए हैं. पहला, सौरभ समलैंगिक हैं. दूसरा, उनका पार्टनर स्विट्जरलैंड का नागरिक है. यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट ने दी है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की आपत्तियों का जवाब देते हुए सौरभ कृपाल की नियुक्ति को भी मजबूत समर्थन दिया है। सुप्रीम कोर्ट का इस तरह कोलेजियम और सरकार के बीच हुए संवाद को सार्वजनिक करना काफी अहम और अप्रत्याशित कदम माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने जिस ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिकता को डिक्रिमिनलाइज किया था, उस केस में सौरभ ने बतौर वकील दो याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया था.

सौरभ की नियुक्ति से जुड़ी पहली बड़ी पहल 2017 में हुई थी. दिल्ली हाई कोर्ट कोलेजियम ने 13 अक्टूबर, 2017 को उन्हें उच्च न्यायालय में जज बनाने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी थी. 11 नवंबर, 2021 को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने भी इसे मंजूरी दी। उन्होंने इस अनुशंसा को केंद्र सरकार के पास भेजा। 25 नवंबर, 2022 को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने फाइल लौटाते हुए कोलेजियम से सौरभ की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने को कहा. इस संबंध में फाइल में कुछ खास टिप्पणियां भी की गई थीं।

18 जनवरी को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के पैनल ने इस संबंध में तीन पन्नों का एक ब्योरा सार्वजनिक किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के तीन-सदस्यीय पैनल ने सौरभ कृपाल की नियुक्ति के लिए अपना समर्थन दोहराया. साथ ही, कानून मंत्रालय की ओर से उठाई गई आपत्तियां, और उनपर अपनी प्रतिक्रिया भी पब्लिक कर दी।

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